जो करता है एक लोकतंत्र का निर्माण।
यह है वह वस्तु जो लोकतंत्र को जीवन देती नवीन
‘सीएम बनूंगा तभी सदन में लौटूंगा…’, जेल से निकलने के बाद कैसे किंगमेकर बन गए चंद्रबाबू नायडू; पढ़ें सफरनामा
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12/06/2024 11:42 AM Total View: 6665
N Chandrababu Naidu टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इस भूमिका में यह उनका चौथा कार्यकाल होगा। आंध्र प्रदेश के सबसे सफल मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक जीवन किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं रहा है। आइए आज कांग्रेस से राजीनीति की शुरुआत करने वाले टीडीपी प्रमुख के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालें।इस बात को एक साल भी नहीं हुआ है, जब चंद्रबाबू नायडू को भारतीय या क्षेत्रीय राजनीति के परिदृश्य से लगभग हटा ही दिया गया था। उनके दोबारा उबरने की किसी को उम्मीद नहीं थी, लेकिन चुनाव के दौरान एक रैली में उनकी मार्मिक अपील काम कर गई और वह विधानसभा चुनाव में भारी मतों से विजयी हुए।साथ ही लोकसभा की 16 सीटें जीतकर मोदी सरकार 3.0 में अहम सहयोगी की भूमिका में उभरे। उनका लौटना कोई सामान्य घटना नहीं है। 13 साल 247 दिन तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर स्थापित कर लिया था।
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मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान नायडू की छवि एक आर्थिक सुधारक और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेता की रही है। उन्होंने हैदराबाद को साइबर सिटी के तौर पर विकसित किया और राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें नई राजधानी अमरावती का निर्माण भी शामिल है। उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाने लगा था।
जब जनता के बीच भावुक हो उठे थे नायडू
ऐसे में उनका सत्ता से हटना, फिर गिरफ्तारी और 52 दिन की जेल ने उन्हें हाशिए में डाल दिया था। लगभग आठ महीने पहले जब वह जेल से बाहर आए तो शायद वह खुद पर भी इतना भरोसा नहीं कर पा रहे थे कि सक्रिय राजनीति में इस तरह लौट पाएंगे, तभी तो उन्होंने कुरनूल की जनसभा में आंध्र प्रदेश की जनता से मार्मिक अपील की कि यदि आप मुझे और मेरी पार्टी को चुनकर विधानसभा भेजते हैं, तभी आंध्र प्रदेश विकास का मुंह देख पाएगा, अन्यथा यह मेरा आखिरी चुनाव होगा। इस अपील ने काम किया और जनता ने उन्हें सत्ता सौंप दी।चुनावी रण में उतरकर सत्तासीन जगन मोहन रेड्डी को शिकस्त देकर उन्होंने राज्य से लेकर राष्ट्रीय राजनीति के दरवाजे पर जो जोरदार दस्तक दी है। उससे साबित हो गया कि वह वाकई ‘वास्तुकार’ हैं। उन्हें टूटी, बिखरी चीजों समेट कर को बखूबी अच्छा गढ़ना आता है।
पीएचडी अधूरी छोड़ राजनीति में कूदे
उम्र के 74वें पड़ाव पर चल रहे चंद्रबाबू नायडू भारतीय राजनीति के उन चंद किरदारों में से हैं, जिन्होंने अपनी एक कार्यशैली विकसित की। उनका जन्म अब दक्षिण-पूर्वी आंध्र में तिरुपति के पास एक छोटे से गांव नरवरिपल्ली में एक किसान परिवार में हुआ। पांच भाई-बहनों के परिवार में चंद्रबाबू सबसे बड़े हैं।
चूंकि उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था, इसलिए उन्होंने पास के शेषपुरम के सरकारी स्कूल से पांचवीं और चंद्रगिरि के सरकारी स्कूल से बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की। जब वह तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी कालेज आफ आर्ट्स से स्नातक कर रहे थे, उसी समय उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रख दिया था।