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‘बंगाल में लगे राष्ट्रपति शासन…’ संदेशखाली में NCW चीफ ने बयां किया महिलाओं का दर्द, NIA जांच की तैयारी में सरकार
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20/02/2024 11:24 AM Total View: 6651
नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव इन दिनों सुर्खियों में है. यहां कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इन आरोपों को लेकर राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर विपक्षी बीजेपी सवाल उठा रही है. इस बीच खबर है कि केंद्र सरकार इन घटनाओं की एनआईए से जांच कराने की तैयारी में हैं.
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दरअसल बीजेपी नेताओं ने इन महिला के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच की है. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग व अन्य एजेंसियों द्वारा केंद्र सरकार को मुहैया करवाई गई सूचना के आधार पर इन घटनाओं की NIA से जांच करना का फैसला लिया जा सकता है.क्लिक करें: हमारे WhatsApp ग्रुप को जॉइन करें
उधर जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस घटना में राज्य के बाहर के असामाजिक तत्वों की संलिप्तता के सबूत मिले हैं, जिनको सुनियोजित ढंग से माहौल बिगाड़ने के लिए संदेशखाली भेजा गया था. एनआईए जांच की तैयारी इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जाने के जिन लोगों पर आरोप लगाए जा रहे हैं, उनमें से ज्यादातर बंग्लादेश सीमा के पास रहते हैं. इस बाबत पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी केंद्र सरकार को अपनी विस्तृत रिपोर्ट दे चुके हैं.
NCW चीफ बोली- संदेशखाली की स्थिति भयानक
इस बीच संदेशखाली के हालात का जायजा लेने पहुंचीं राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर वहां महिलाओं की आवाज को दबाने का आरोप लगाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है.
रेखा शर्मा ने कहा, ‘इलाके की महिलाओं से बात करने के बाद मुझे पता चला कि संदेशखाली में स्थिति भयानक है. कई महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई. उनमें से एक ने कहा कि यहां टीएमसी पार्टी कार्यालय के अंदर उसके साथ बलात्कार किया गया था. हम अपनी रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख करेंगे। हमारी मांग है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.’
TMC का आरोप- बीजेपी के प्रभाव में काम कर रहा NCW
वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आरोप लगाया कि महिला आयोग ‘बीजेपी के प्रभाव’ में काम कर रहा है. टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘एनसीडब्ल्यू को पश्चिम बंगाल का दौरा करने की जल्दी है, लेकिन उसने कभी भाजपा शासित राज्यों का दौरा करने में इतनी जल्दबाजी नहीं दिखाई.’
वहीं बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने सवाल किया, ‘वह (NCW अध्यक्ष) मध्य प्रदेश के मुरैना क्यों नहीं गईं, जहां एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे जला दिया गया? जब महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद के कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया तो एनसीडब्ल्यू सक्रिय क्यों नहीं हुई? आयोग ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की शिकायतों को नजरअंदाज क्यों किया?’
सुप्रीम कोर्ट ने SIT से जांच का अनुरोध किया खारिज
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें इन कथित घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआई या विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने का अनुरोध किया गया था. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले ही मामले पर संज्ञान ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की आजादी देते हुए कहा, ‘दोहरे मंच पर मामले नहीं होने चाहिए.’
कोलकाता हाईकोर्ट ने शुभेंदु अधिकारी को दी दौरे की इजाजत
उधर कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली का दौरा करने की इजाजत दे दी है. जस्टिस कौशिक चंद ने बीजेपी नेता को इसके साथ ही निर्देश दिया कि वह इस दौरे पर कोई भड़काऊ भाषण नहीं देंगे और अशांत इलाके में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा नहीं करेंगे. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली के दौरे के दौरान पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए.
बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक स्थायी नेता और उनके समर्थकों द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है. कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. (भाषा